Saturday 20 May 2017

कात्यायनी साधना

कात्यायनी साधना का विशेष प्रयोग-1


नमस्कार दोस्तों
एक बार फिर हाज़िर हूँ एक नयी प्रमाणिक साधना विधि के साथ | दोस्तों अब हमलोग बात करेंगे भगवती कात्यायनी से संबंधित कुछ विशेष लघु प्रयोगों के बारे में | भगवती कात्यायनी नवदुर्गा में षष्ठम देवी हैं जो रौद्र रूपा और अमर वरदायनी है | इनकी साधना जीवन में हर प्रकार से शुभता लाती है | भगवती कात्यायनी की साधनाए विशेष प्रभावकारी है |

Ø शक्ति सिद्ध साफल्य जीवन साधना
इस साधना के लिए प्राण प्रतिष्ठित कात्यायनी यंत्र, शक्ति माला  तथा त्रिभद्रिका गुटिका की आवश्यकता होती हैं |
इस साधना को करने के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से निवृत हो पूर्ण सात्विक भावयुक्त होकर उत्तर दिशा की ओर मुख कर के लाल रंग के आसन पर बैठे |
अपने सामने बाजोट(चौकी) पर भी लाल वस्त्र बिछा दें | सामने आशीर्वादयुक्त गुरुचित्र स्थापित करें | साधक अपनी दायीं ओर घी का दीपक जला लें एवं अगरबत्ती लगा दें | पहले दोनों हाथ जोड़ कर सदगुरुदेव का ध्यान करें –
|| गुरुदेव परब्रह्म गुरुदेव परंतपः ,
गुरोः परतरं नास्ति तस्माद् ध्येयं अहर्निशम ||
तत्पश्चात सदगुरुदेव का पंचोपचार पूजन संपन्न करें | उसके पश्चात् गुरुचित्र के सामने किसी प्लेट या थाली पर कुंकुम से स्वास्तिक बना कर कात्यायनी यंत्र को स्थापित करें | यंत्र को जल से स्नान करावें और निम्न मन्त्र का उच्चारण करें –
|| गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलैः
स्नापितोअसि मया देवी तथा शान्तिं कुरुष्व मे |
ॐ ह्रीं स्नानं समर्पयामि जगदम्बा कत्यायिन्यै  नमः ||
कात्यायनी यंत्र को स्नान कराने के पश्चात पौंछ कर एक दूसरी प्लेट में कुंकुम से स्वास्तिक बना कर पुष्पों का आसन देकर निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए गंध, अक्षत, पुष्प, नैवेध अर्पित करें –
ह्रीं गंधं समर्पयामि कत्यायिन्यै नमः |
ॐ ह्रीं अक्षतान समर्पयामि कत्यायिन्यै नमः |
ॐ ह्रीं पुष्पाणि समर्पयामि कत्यायिन्यै नमः |
ॐ ह्रीं नैवेधं निवेदयामि कत्यायिन्यै नमः |
ॐ ह्रीं सर्वोपचारान जगदम्बा कत्यायिन्यै नमः  |
इसके बाद यंत्र के दायीं ओर त्रिभद्रिका गुटिका को भी स्थापित करें , पंचोपचार स्नान, तिल , धूप , दीप और पुष्प से पूजन संपन्न करें | फिर माला को जल छिड़क कर शुद्ध करें , सुमेरु पर कुंकुम से तिलक करें | उसके बाद निम्न मन्त्र का 5 माला निम्न मन्त्र का जप करें –
|| ॐ ह्रीं सौभाग्यं देहि एंग ॐ कत्यायिन्यै फट ||
यह केवल 11 दिन की साधना हैं | इस साधना को पूर्ण मनोयोग से करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती ही हैं | 11 दिन के बाद सभी सामग्रियों को लाल वस्त्र में बांध कर किसी सरोवर या बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें |
माँ भगवती कात्यायनी की कृपा आप सबों को प्राप्त हो ऐसी ही मंगलकामना के साथ आपलोगों से विदा लेता हूँ , फिर मिलेंगे एक नयी प्रमाणिक साधना विधि के साथ |
जय गुरुदेव

सामग्री प्राप्ति हेतु संपर्क करें –
साधना सामग्री : 430 रु
निखिल मंत्र विज्ञान
फोन –      0291-2638209,
          0291-2624081



Monday 15 May 2017

हनुमान साधना


हनुमान साधना


नमस्कार दोस्तों
आज हमलोग बात करेंगे हनुमान साधना के बारे में | दोस्तों जैसा कि हमलोग जानते हैं कलियुग में पृथ्वी पर अभी प्रत्यक्ष रूप से श्री हनुमान जी विराजमान हैं तथा शीघ्र ही कृपा करने वाले भी हैं | उनकी साधना उपासना हमेशा से जनमानस के लिए अति कल्याणकारी रही हैं | उनकी उपासना सर्वजन अनुकूल एवं सरल हैं | उनकी साधना से अल्प समय में ही अति लाभ की स्तिथि उत्पन्न होती हैं | हमे बिना किसी भय के निडर होकर हनुमान साधना संपन्न करनी चाहिए |
श्री हनुमान जी की साधना करने पर साधक को अनगिनत लाभ होते हैं जिनमे से कुछ  निम्नलिखित हैं –
1 हनुमान जी की साधना करने पर साधक को बल, बुद्धि, साहस प्राप्त होने लगता हैं
2 उसे साधना में संलग्न रहने पर सभी लौकिक एवं पारलौकिक सिद्धियां प्राप्त होने लग जाती हैं
3 रोगों का शमन होता हैं
4 मानसिक दुर्बलता की स्तिथियों में उनसे सहायता प्राप्त होती हैं


साधना विधान –
1 सर्वप्रथम साधक तारक मंत्र से प्राण-प्रतिष्ठायुक्त एवं पूर्ण चैतन्य “ हनुमान साधना सिद्धि यन्त्र ”, “ मूंगा माला ” एवं  “हनुमत कल्प” प्राप्त कर लें |
2 इस साधना को हनुमान जयंती अथवा किसी भी मंगलवार या शनिवार से प्रारम्भ किया जा सकता हैं |  यह साधना प्रातः 4 बजे से 7 बजे के मध्य या सायं 6 बजे से रात्रि 10  बजे के मध्य संपन्न कर लेनी चाहिए |
3 साधक स्वयं लाल अथवा संतरी रंग की धोती पहने तथा ऊपर गुरुचादर ओढ़कर पीले आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख कर बैठ जाए |
4 यह तीन दिवसीय साधना हैं, साधना काल मैं शुद्ध एवं सात्विक आहार ही ग्रहण करे  एवं पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें |
5 सर्वप्रथम बाजोट पर गुरुचित्र, गुरुचरण पादुका अथवा गुरुयंत्र स्थापित कर सदगुरुदेव का पूजन करें | सदगुरुदेव के ध्यान एवं पंचोपचार पूजन के पश्चात एक माला गुरुमंत्र का जप अवश्य ही संपन्न करे एवं गुरुदेव से साधना की सफलता एवं पूर्णता का आशीर्वाद प्राप्त कर लें |
6 गुरु पूजन के पश्चात् गुरु चित्र के सामने ही एक ताम्र पात्र में पुष्पों का आसन दे कर “हनुमान साधना सिद्धि यंत्र” स्थापित करें | सर्वप्रथम पंचामृत से यंत्र को स्नान कराएं | स्नान कराने के पश्चात् पुनः शुद्ध जल से यंत्र को स्नान कराये तथा स्वच्छ वस्त्र से यंत्र को पौंछ लें |
7 अब “हनुमान साधना सिद्धि यंत्र” को गुरु चित्र के सम्मुख ही कुंकुम से रंगे हुए चावलों की ढेरी बनाकर उसपर स्थापित कर लें |
8 यंत्र का पूजन धूप, दीप, पुष्प, अक्षत आदि से करे | फिर यंत्र के चारो कोनो पर कुंकुम से चार बिंदियाँ लगाकर यंत्र-पूजन करें |
9 यंत्र पूजन के पश्चात् तेल का दीपक प्रज्वलित कर लें, ध्यान रहे दीपक में तेल की पर्याप्त मात्रा लेंना हैं ताकि पूरे साधनाकाल में तेल का दीपक जलता रहे |
10 तेल के दीपक के सामने लौंग की ढेरी बनाकर उस पर “हनुमत कल्प” को स्थापित कर दें तथा “हनुमत कल्प” का पंचोपचार (कुंकुम, अक्षत,पुष्प,धूप,दीप)  पूजन सम्पन्न करें |
11हनुमत कल्प” का पंचोपचार पूजन के पश्चात उस पर सिंदूर की पांच बिन्दिया लगायें तथा उसे अपने बाएं हाथ की मुट्ठी में बंद कर लें, जिससे किसी भी प्रकार की विघ्न- बाधा मन्त्र जप के दौरान आपको प्रभावित ना कर सकें |
12   इसके पश्चात् मूंगे की माला से निम्न मन्त्र की 5 माला मन्त्र जप करें-
मन्त्र
|| ॐ हुं हुं ह्सौः हनुमते हुं ||
13 मन्त्र-जप समाप्ति के पश्चात् बेसन के लड्डू का भोग हनुमान जी को लगायें तथा पूर्ण श्रद्धा के साथ हनुमान जी की आरती एवं गुरु आरती संपन्न करें |
आरती के पश्चात् प्रसाद को वितरित कर दें एवं स्वयं भी ग्रहण करें |
14 तीन दिवसीय साधना को तीन दिन तक इसी क्रम में सम्पन्न करना हैं | तीसरे दिन पूजन के पश्चात् यंत्र, माला व हनुमत कल्प को अपने पूजा स्थान में रख दें एवं    21 दिन के पश्चात् यंत्र व माला को किसी नदी अथवा तालाब में प्रवाहित कर दें | इस प्रकार यह तीन दिवसीय साधना पूर्ण होती हैं |
निश्चय ही यह साधना उन व्यक्तियों के लिए अत्यंत ही लाभप्रद सिद्ध होगी जो अपने आप को शारीरिक एवं मानसिक रूप से दुर्बल समझते हैं | जिनका घर भूत प्रेत बाधा से एवं तंत्र प्रयोगों से ग्रसित हो वे इस साधना को संपन्न कर अपने घर को तथा स्वयं अपने आप को भी पूर्ण रूप से दोषमुक्त एवं सुरक्षित कर सकते हैं | यदि इस साधना को साधक सवा पांच लाख मन्त्र-जप के अनुष्ठान के रूप में संपन्न करें तो निश्चय ही सर्व सिद्धि प्रदायक महावीर हनुमान के साक्षात् जाज्वल्यमान दर्शन प्राप्त होते ही हैं |
मेरी शुभकामनाएँ सदा आपलोगो के साथ हैं आपलोगों को साधना में पूर्ण सफलता प्राप्त हो इसी मंगल कामना के साथ आपलोगों से विदा लेता हूँ जल्दी ही मिलेंगे एक नई साधना विधि के साथ |
जय गुरुदेव


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कात्यायनी साधना

कात्यायनी साधना का विशेष प्रयोग -1 नमस्कार दोस्तों एक बार फिर हाज़िर हूँ एक नयी प्रमाणिक साधना विधि के साथ | दोस्तों अब हमलोग बात...