कात्यायनी साधना का विशेष प्रयोग-1
नमस्कार
दोस्तों
एक बार फिर
हाज़िर हूँ एक नयी प्रमाणिक साधना विधि के साथ | दोस्तों अब हमलोग बात करेंगे भगवती
कात्यायनी से संबंधित कुछ विशेष लघु प्रयोगों के बारे में | भगवती कात्यायनी
नवदुर्गा में षष्ठम देवी हैं जो रौद्र रूपा और अमर वरदायनी है | इनकी साधना जीवन
में हर प्रकार से शुभता लाती है | भगवती कात्यायनी की साधनाए विशेष प्रभावकारी है
|
Ø शक्ति सिद्ध साफल्य जीवन साधना –
इस साधना के लिए प्राण प्रतिष्ठित कात्यायनी यंत्र,
शक्ति माला
तथा त्रिभद्रिका गुटिका की आवश्यकता होती
हैं |
इस साधना को करने के लिए प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से
निवृत हो पूर्ण सात्विक भावयुक्त होकर उत्तर दिशा की ओर मुख कर के लाल रंग के आसन
पर बैठे |
अपने सामने बाजोट(चौकी) पर भी लाल वस्त्र बिछा दें | सामने आशीर्वादयुक्त गुरुचित्र
स्थापित करें | साधक अपनी दायीं ओर घी का दीपक जला लें एवं अगरबत्ती लगा दें |
पहले दोनों हाथ जोड़ कर सदगुरुदेव का ध्यान करें –
|| गुरुदेव परब्रह्म गुरुदेव परंतपः ,
गुरोः परतरं नास्ति तस्माद् ध्येयं अहर्निशम ||
तत्पश्चात सदगुरुदेव का पंचोपचार पूजन संपन्न करें | उसके पश्चात् गुरुचित्र
के सामने किसी प्लेट या थाली पर कुंकुम से स्वास्तिक बना कर कात्यायनी यंत्र को
स्थापित करें | यंत्र को जल से स्नान करावें और निम्न मन्त्र का उच्चारण करें –
|| गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलैः
स्नापितोअसि मया देवी तथा शान्तिं कुरुष्व मे |
ॐ ह्रीं स्नानं समर्पयामि जगदम्बा कत्यायिन्यै नमः ||
कात्यायनी यंत्र को स्नान कराने के पश्चात पौंछ कर एक दूसरी प्लेट में कुंकुम
से स्वास्तिक बना कर पुष्पों का आसन देकर निम्न मंत्रो का उच्चारण करते हुए गंध, अक्षत, पुष्प, नैवेध अर्पित करें –
ॐ ह्रीं गंधं समर्पयामि कत्यायिन्यै नमः |
ॐ ह्रीं अक्षतान समर्पयामि कत्यायिन्यै नमः |
ॐ ह्रीं पुष्पाणि समर्पयामि कत्यायिन्यै नमः |
ॐ ह्रीं नैवेधं निवेदयामि कत्यायिन्यै नमः |
ॐ ह्रीं सर्वोपचारान जगदम्बा कत्यायिन्यै नमः |
इसके बाद यंत्र के दायीं ओर त्रिभद्रिका गुटिका
को भी स्थापित करें , पंचोपचार स्नान, तिल , धूप , दीप और पुष्प से पूजन संपन्न
करें | फिर माला को जल छिड़क कर शुद्ध करें , सुमेरु पर कुंकुम से तिलक करें | उसके
बाद निम्न मन्त्र का 5 माला निम्न मन्त्र का जप करें –
|| ॐ ह्रीं सौभाग्यं देहि एंग ॐ कत्यायिन्यै फट ||
यह केवल 11 दिन की साधना हैं | इस साधना को पूर्ण मनोयोग से करने से अभीष्ट फल
की प्राप्ति होती ही हैं | 11 दिन के बाद सभी सामग्रियों को लाल वस्त्र में बांध
कर किसी सरोवर या बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें |
माँ भगवती कात्यायनी की कृपा आप सबों को प्राप्त हो ऐसी ही मंगलकामना के साथ
आपलोगों से विदा लेता हूँ , फिर मिलेंगे एक नयी प्रमाणिक साधना विधि के साथ |
जय गुरुदेव
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